अहमदाबाद: भारत के संतों ने बांग्लादेश में हुई हिंसा की निंदा करते हुए उत्पीड़ित हिंदुओं को देश में प्रवेश देने की मांग उठाई। अहमदाबाद में हिंदू धर्म आचार्य सभा, अखिल भारतीय संत समिति और सनातन धर्म संरक्षण समिति द्वारा संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सम्मेलन में संतों ने बांग्लादेश के उत्पीड़ित हिंदुओं के भारत देश में प्रवेश के लिए आव्रजन संबंधी मानदंडों में ढील देने का केंद्र सरकार से आग्रह किया है। संत सम्मेलन में एक विशेष प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हिंदू समुदाय पर हमले रोकने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव डालने को कहा गया। संत सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने सभी हिंदुओं को आपस में एकता बनाये रखने का आह्वान किया। इसी तरह भारत साधु समाज के अध्यक्ष मुक्तानंद स्वामी ने केंद्र सरकार से प्रताड़ित हिंदुओं को भारत में प्रवेश की अनुमति देने की अपील की। इस अवसर पर बांग्लादेश में हुई घटनाओं पर गंभीरता से विचार विमर्श किया गया। संत सम्मेलन में मौजूद वरिष्ठ संतों ने अपने अपने विचार रखे। संत सम्मेलन में बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए सारा संत समाज एक जुट दिखा। संतों का कहना है कि यह सम्मेलन बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित की गई है। हम सभी इस सम्मेलन में केंद्र सरकार से बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत में प्रवेश के वीजा और अन्य संबंधी प्रक्रियाओं को पहले से आसान बनाने के लिए आग्रह करते हैं। सभी संत पीड़ित बांग्लादेशी हिंदुओं को आश्रमों और मठों में आश्रय देने के लिए तैयार हैं।
इस सबके चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जताई। मोहन भागवत ने कहा कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को अकारण हिंसा का सामना करना पड़ रहा है और यह अति दुखदायी है। इस सबको लेकर हमारे देश की जिम्मेदारी है कि हम सुनिश्चित करे कि बांग्लादेश में हिंदुओं को किसी भी तरह के अन्याय और अत्याचार का सामना न करना पड़े।
भारत के संतों ने बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत देश में प्रवेश देने की मांग उठाई

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