रामबन: भारी बारिश के बाद जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जमीन धंसने से काफी नुकसान हुआ है। इसी के चलते परनोत गांव में लगभग एक वर्ग किलोमीटर के हिस्से में जमीन धंस गई है। अभी भी इलाके में भारी बारिश के बाद परनोट में भूमि धंसने का सिलसिला शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। जमीन धंसने के कारण नुकसान की मात्रा में भी लगातार इजाफा हो रहा है। यहां सड़क, घर और बिजली के खंभों-तारों को खासा नुकसान हुआ है।
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जमीन के धंसने से 50 से अधिक घर, चार बिजली टावर, एक रिसीविंग स्टेशन और एक मुख्य सड़क क्षतिग्रस्त हो गई। पेरनोट गांव में भी अचानक जमीन धंसने के बाद घरों में दरारें आने लगीं। इस सब के चलते गूल तथा रामवन के बीच सड़क संपर्क टूट गया। जमीन धंसने से प्रभावित परिवारों को अस्थायी रूप से सामुदायिक केंद्र रामबन, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। NDRF, SDRF, NGo और स्थानीय लोगों की मदद से पीड़ितों को बचाया गया है। प्रभावित इलाके में राहत शिविर और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण रामबन कैंप कार्यालय परनोट की ओर से राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं। जानकारी के मुताबिक रामबन जिले के एक गांव में जमीन धंसने की वजह से 58 से अधिक घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। इस सब को देखते हुए अभी तक 500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, विस्थापितों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है। जिला प्रशासन स्वास्थ्य शिविरों और पुनर्वास स्थलों पर स्वच्छता मानकों को बनाये रखने के लिए स्वच्छता और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसी के साथ प्रभावित लोगों को समय पर स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक सामुदायिक रसोई शुरू की गई है। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने शनिवार को केंद्र से जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में भूमि धंसने की घटना का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजने का आग्रह किया है।
डीसी उपायुक्त बसीर-उल-हक चौधरी ने मीडिया को बताया कि इलाके में भूमि धंसने का सिलसिला जारी है। यहां पर करीब 100 परिवारों को मवेशियों सहित एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। खराब मौसम से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद परिवारों को पेरनोट पंचायत से संचालित राहत और सहायता सेवाओं के साथ सामुदायिक हॉल मैत्रा (रामबन) में स्थानांतरित कर दिया गया है। प्रशासन हाई अलर्ट पर है और प्रभावित इलाके में हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है। डीसी उपायुक्त ने यह भी बताया कि पहली प्राथमिकता प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना, टेंट स्थापित करना और चिकित्सा व अन्य सुविधाएं प्रदान करना है। अस्थायी राहत शिविर, सामुदायिक रसोई स्थापित की हैं। शनिवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने सर्वे भी किया है। इसी दौरान प्रभावित इलाकों से मिट्टी के नमूने भी एकत्र किए गए है। इसी के साथ नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है। डीसी के अनुसार प्रभावित इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, सिविल क्यूआरटी, मेडिकल और अन्य सामाजिक संगठनों की टीमें तैनात हैं। नोडल अधिकारी कैंप (बीडीओ रामबन) यासिर वानी की देखरेख में एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है।