नई दिल्लीः 12 मार्च को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने परिपत्र जारी कर राज्यों से मानव जीवन के लिए खतरनाक कुत्तों की नस्लों की बिक्री, प्रजनन और उन्हें पालने के लाइसेंस नहीं देने का आदेश दिया था। 25 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खूंखार कुत्तों की 23 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से 24 जून तक जवाब देने को कहा है।
खूंखार कुत्तों की 23 नस्लों पर प्रतिबंध के आदेश के खिलाफ देश के कई अन्य हाई कोर्ट में भी पीआईएल दाखिल हो चुकी हैं। पुणे की एक एनजीओ द्वारा दाखिल पीआईएल पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया। याचिकाकर्ता ने खंडपीठ से खूंखार कुत्तों की 23 नस्लों पर प्रतिबंध वाले आदेश पर अंतरित रोक लगाने की मांग की है। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा आदेश पर पहले ही आंशिक रोक लगाने की बात को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में इस आदेश के आधार पर कोई अधिकारी आगामी आदेश को जारी नहीं करेगा। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम पहले यह जानना चाहते हैं कि केंद्र सरकार प्रतिबंध वाले आदेश क्या कहती है ? बॉम्बे हाई कोर्ट दाखिल की गई पीआईएल में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कुत्तों की विभिन्न 23 नस्लों पर प्रतिबंध का आदेश जारी किये जाने के समय सभी हितधारकों से कोई सुझाव नहीं लिया गया।