लुधियाना: सतलुज दरिया स्थित शनिगांव में शून्य प्रभु की अध्यक्षता में शनिदेव जी महाराज की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान भक्तों की ओर से शनिदेव जी का तेलाभिषेक किया गया और शाम के समय आयोजित हवन यज्ञ में आहूतियां डाल अपने आप को धन्य किया। प्रवचन करते हुए शून्य प्रभु ने बताया कि भारत एक विशाल देश है। इसमें विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी पाए जाते हैं। जो गुणों में, रंग रूप में, आकार में भिन्न होते हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी पशु-पक्षियों का विस्तृत वर्णन देखने को मिलता है। उस समय उनका अधिक महत्व उनके मांस के कारण था। मनुष्य और पशुओं की मित्रता की कहानी बहुत पुरानी है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि मानव ने सबसे पहले कुत्ते से मित्रता प्रारंभ की थी और फिर दूसरी पशुओं से जैसे गाय, बैल, घोड़े आदि । शून्य प्रभु ने कहा कि ये पशु हमारे बहुत ही अच्छे मित्र हैं और इनसे ही हमारे अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। उदाहरण के लिए कुत्ता एक बहुत ही बफादार जानवर होता है यह अपने स्वामी के लिए अपने प्राण भी बलिदान कर देता है। अंत उन्होंने कहा कि मैं मनुष्य भी एक प्रकार का पशु ही है, परन्तु यह एक सामाजिक और बुद्धिमान प्राणी है। इस बुद्धि का उपयोग मानव ने अपने विकास और समृद्धि के लिए बड़ी चतुराई से किया है और आज भी कर रहा है।