नई दिल्लीः देश में राजनितिक क्षेत्र ही इकलौता क्षेत्र है, जिसमें सब चलता है। पहले समय में जिस व्यक्ति ने देश और आम लोगों के लिए बेहतर काम करना होता था, वहीं राजनितिक क्षेत्र में आता था। जनता भी यही चाहती थी, साफ सुथरी छवि वाला कोई व्यक्ति ही उनका लीडर बने। लेकिन धीरे-धीरे राजनितिक क्षेत्र में दागी प्रत्याशी भी अपना हाथ अजमाने लगे। इलाके की जनता भी ऐसे दागी प्रत्याशियों को वोट देकर विजय बनाने लगी। लोकतंत्र और मानव अधिकारों के नाम पर ज्यादातर आरोपी चुनावों में अपनी किस्मत अजमाने लगे। आपराधिक मामलों के चलते बाहुबली के रूप में अपनी पहचान बना चुके लोग भी हर हथकंडे अपनाकर जीत हासिल करने लगे। देश में ऐसे उदाहरणों की संख्या बहुत ज्यादा है, जो बहुत ही चिंताजनक है। हाल ही में संसदीय क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भी चिंता जाहिर की।
चुनाव प्रणाली व लोकतंत्र में सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश के पिछले चार आम चुनाव में आपराधिक छवि के प्रत्याशियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। लोकसभा की 543 में से 265 संसदीय क्षेत्र को रेड अलर्ट बताकर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में बताया गया कि लोकसभा चुनाव 2004 में कुल 4501 प्रत्याशियों में से 555 पर आपराधिक केस लंबित थे। इसी तरह साल 2009 के चुनाव में यह संख्या 7810 प्रत्याशियों में से 1158 तक पहुंच गई थी। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक साल 2009 के आम चुनाव में रेड अलर्ट लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 196 थी। साल 2014 के लोकसभा क्षेत्रों में 245 की संख्या हो गई। इसी तरह हर पांच साल के बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में संख्या बढ़ती जा रही है। इस सब के चलते साल 2019 में रेड अलर्ट लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 265 हो गई। यह बताया गया कि साल 2004 के आम चुनाव में 320 उम्मीदवार पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं साल 2019 के चुनाव में यह संख्या बढ़ कर 1070 के करीब पहुंच गई। अगर इन आंकड़ों को गौर किया जाये तो यह स्पष्ट होता है कि देश में पिछले 4 आम चुनाव में आपराधिक छवि के सांसदों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।