संगरूर: पंजाब के संगरूर में तीन दिन से जहरीली शराब रूपी दानव ने मौत का तांडव मचा रखा है। अभी दिड़बा के गांव गुज्जरां में नौ लोगों की मौत का दर्द इलाका निवासी भूले नहीं थे, सुनाम की टिब्बी रविदासपुरा बस्ती में लोग दम तोड़ने लगे। यहां भी कारण भी जहरीली शराब ने लोगों की जान ले ली।
पंजाब के संगरूर जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। एडीजीपी गुरिंदर ढिल्लों ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि जहरीली शराब का शिकार 40 लोग अब तक अस्पताल पहुंच चुके है। इस मामले में 20 मरीजों की मौत हो चुकी है। शराब पीने के मामले में 11 मरीजों को राजिंदरा हॉस्पिटल पटियाला रेफर किया गया है। जबकि 6 लोगों का संगरूर के सिविल अस्पताल में चल रहा है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दिड़बा और सुनाम ब्लॉक के गुजरान, टिब्बी रविदासपुरा और ढंडोली खुर्द गांवों से लोगों के हताहत होने की सूचना मिली है। मिली जानकारी के मुताबिक अब तक पुलिस इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी हैं। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और उत्पाद शुल्क अधिनियम के तहत मामला पहले ही दर्ज किया जा चुका है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इसमें शामिल पाए गए किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया है।
इस सबके चलते यह भी पता चला है कि पुलिस ने इस पहले 200 लीटर इथेनॉल, 156 बोतल शराब, लेबलिंग के साथ संदिग्ध नकली शराब वाली 130 बोतलें, बिना लेबल वाली नकली शराब वाली 80 बोतलें, 4,500 खाली बोतलें और एक बॉटलिंग मशीन आदि बरामद की थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में शराब का धंधा सरेआम चलता आ रहा है। शराब माफिया सस्ती शराब देने का लालच देकर लोगों को मौत के घाट उतार रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार आम मजदूर लोगों को 10-10 रुपये में शराब का पैग बनाकर बेचा जा रहा है।
हाल ही में 20 मार्च को संगरूर के दिड़बा के नजदीकी गांव गुज्जरां में जहरीली शराब के कारण चार लोगों की मौत हो गई थी। गुज्जरां निवासियों के मुताबिक उनके गांव के भोला सिंह (50), परगट सिंह (42), निर्मल सिंह (42) और जगजीत सिंह (30) ने मंगलवार रात को शराब लेकर पी थी। अगले दिन सुबह के समय उनकी हालत बिगड़ने लगी तो उन लोगों को अस्पताल ले जाया गया। लेकिन रास्ते में सभी की तबियत ज्यादा खराब होने से उनकी मौत हो गई। ध्यान देने वाली बात यह है कि मरने वाले सभी मजदूरी का काम करते थे।