नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) परिषद की बैठक के लिए चीन के दौरे गए हुए हैं। एससीओ की बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मु्द्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने बैठक में सभी सदस्य देशों को ग्रुप के उद्देश्यों के प्रति सच्चा और आतंकवाद पर अडिग रुख अपनाए रखने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुआ हमला जानबूझकर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए किया गया था। इसी के तहत देश में धार्मिक विभाजन को भी बढ़ावा देने की पूरी कोशिश की गई थी। उन्होंने एससीओ विदेश मंत्रियों की काउंसिल मीटिंग में कहा कि एससीओ की स्थापना तीन बुराइयों- आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए की गई थी, जो आश्चर्यजनक रूप से एक साथ घटित होती हैं। उन्होंने कहा, “ये जरूरी है कि एससीओ अपने संस्थापक उद्देश्यों के प्रति सच्चा बना रहे और इस चुनौती पर कोई समझौता न करने वाला रुख अपनाए।”
जयशंकर ने कहा, ‘भारत एससीओ के तहत विकास के नए सोच पर काम करने को तैयार है। लेकिन इस दिशा में कोई भी नया सोच परस्पर आदर व बराबरी के सिद्धांत पर होना चाहिए और इसमें भौगोलिक संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का आदर किया जाना चाहिए।’
उन्होंन कहा, ‘एससीओ के बीच सहयोग को और गहरा करने के लिए सदस्य देशों के बीच ज्यादा निवेश, कारोबार और विनिमय करने की जरूरत है। इस बारे में आगे बढ़ने से पहले हमें कुछ मौजूदा मुद्दों पर बात करनी चाहिए। एक मुद्दा एससीओ के बीच सुरक्षित आवाजाही की कमी का है। इसकी वजह से जब हम आपस में कारोबारी सहयोग बढ़ाने की बात करते हैं तो वह ज्यादा गंभीर नहीं लगता। हमें इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर (इनटक) को बढ़ावा देना चाहिए।’ विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने के लिए आपसी विश्वास पर आधारित क्षेत्रीय सहयोग की तत्काल जरूरत है।